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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Tuesday, April 20, 2010

नानाजी देशमुख – व्यक्तित्व और कृतित्व – विनोद बंसल

प्रकाश  पुंज सा आदर्श जीवन, जीते जी समाज  की निष्काम सेवा और अंत में पार्थिव शरीर के अंग भी  समाज को अर्पित कर देने का अद्वितीय व्यक्तित्व !  यूं तो हमारा देश पुरातन काल से ही ॠषियों, मुनियों, मनीषियों, समाज सुधारकों व महापुरुषों का जनक रहा है जिन्होंने न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। किंतु आधुनिक युग की बदलती हुई परिस्थितियों में ऐसे महापुरुष बिरले ही हैं। 11अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले के एक छोटे से ग्राम कडोली में जन्मे चंडिका दास अमृतराव देशमुख ने अपने बाल्यावस्था में शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह अपने जीवन काल में किये गये सेवा, संस्कार व शिक्षा के प्रसार के माध्यम से 50,000 से अधिक विद्यालयों की स्थापना, 500 से अधिक ग्रामों का विकास, भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी, दीनदयाल शोध संस्थान, राष्ट्र, धर्म, पांचजन्य व ‘दैनिक स्वदेश’ का संपादन/प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम पूरे विश्व में फैलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा पायेगा। भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित कर राज्यसभा के लिए स्वतः मनोनीत करेगी यह तो सोचा ही कैसे जा सकता था।
अपने 94 वर्षों की लंबी निष्काम सेवा ने उनका असली नाम चंडिका दास अमृतराव देशमुख से नानाजी देशमुख रख दिया। निर्धनता के कारण सब्जी बेच किताबें जुटाकर पढ़ने वाले नानाजी देशमुख लोकमान्य तिलक के विचारों से बहुत प्रभावित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हैडगेवार की राष्ट्र निष्ठा ने उन्हें संघ से जोड़ा। 1940 में उन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया तथा आगरा से संघ प्रचारक के रूप में अपना समाज जीवन आरंभ किया। विषम आर्थिक परिस्थितियों व राजनैतिक विरोधों के बावजूद उन्होंने मात्र 3 वर्षों में गोरखपुर के आसपास 250 से अधिक संघ शाखाएं प्रारम्भ करवायीं। शिक्षा की दुर्दशा को देखते हुए 1950 में गोरखपुर में ही उन्होंने पहला सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय खुलवाया। संस्कारवान व राष्ट्रनिष्ठ नागरिक बनाने वाले ऐसे 50000 से अधिक विद्यालय आज देश के कोने- कोने में चल रहे हैं। ‘राष्ट्रधर्म’, ‘पांचजन्य’ व ‘दैनिक स्वदेश’ जैसे विख्यात प्रकाशन नानाजी के मार्गदर्शन की ही देन हैं।
1951 में जनसंघ की स्थापना के बाद नानाजी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश संगठन मंत्री बनाया गया जिन्होंने 1957 तक प्रदेश के सभी जिलों में जनसंघ का अलख जगाया। उत्तर प्रदेश की 412 सदस्यों वाली विधानसभा में जनसंघ के 99 विधायक चुनवाकर काँग्रेस की चूलें हिला दीं थी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान के पश्चात् पंडित दीन दयाल उपाध्याय को जनसंघ का अखिल भारतीय महामंत्री तथा नानाजी को अखिल भारतीय संगठन मंत्री बनाया गया। जहां एक ओर श्री विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया तो वहीं दूसरी ओर श्री जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के दौरान पटना में अपने ऊपर लाठियां खाकर श्री जयप्रकाश नारायण को बचाया। आपातकाल में जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी के उपरांत वे प्रथम सत्याग्रही बने और देश भर के कार्यकर्ताओं का नेतृत्व करते रहे। 1977 में आपात काल समाप्ति पर देशभर की सरकारों में जनसंघ सहयोगी रहा तथा नानाजी को केंद्र में उद्योग मंत्री का प्रस्ताव भेजा जिसे नानाजी ने सविनय ठुकरा दिया। 60 वर्ष की आयु में राजनीति छोड़ उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद में ग्राम विकास में जुटकर वे महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के दर्शन को अमली जामा पहनाने वाले महामनीषी बने। प्रचार से दूर रहने वाले निष्काम कर्मयोगी द्वारा केवल गांवों की दशा सुधार का उन्हें अपने बलबूते पर खड़कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो कार्यक्रम प्रारंभ किये गये उन्होंने भारतीय जनमानस पर अमिट छाप छोड़ दी। 2005 में प्रारंभ किये गये चित्रकूट ग्रामोदय प्रकल्प ने चित्रकूट के आसपास 500 से अधिक ग्रामों को स्वाबलंबी बना दिया तथा देश को पहला ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रदान किया। वे ग्राम विकास के सच्चे पुरोधा थे। सफल ग्रामोत्थान के इन्ही प्रयोगों के लिए उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से विभूषित कर राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया गया। दीनदयाल शोध संस्थान नानाजी की कल्पना का ही एक साकार रूप है।
लगभग एक शतक लंबी राष्ट्र को समर्पित आयु के अंतिम पड़ाव से पूर्व ही उन्होंने तय कर लिया था कि जब तक जीवित हैं तब तक स्वयं तथा मृत्यु के बाद उनकी देह राष्ट्र के काम आये। दिल्ली की दधीचि देहदान समिति को अपने देहदान संबंधी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए नाना जी ने कहा था कि मैंने जीवन भर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में होने वाली दैनिक प्रार्थना में बोला है -’पतत्वेष कायो, नमस्ते-नमस्ते’ अर्थात् हे भारत माता मैं अपनी यह काया हंसते हंसते तेरे ऊपर अर्पण कर दूं। अतः मृत्योपरांत उन्होंने न सिर्फ अपना देह दान कर चिकित्सा-शास्त्र पढ़ने वाले युवकों के अध्यापन हेतु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को समर्पित करने का संकल्प किया बल्कि दस हजार रुपये की अग्रिम राशि भी समिति को दी जिससे देश के किसी भी भाग से उनका शांत शरीर इस कार्य हेतु उचित स्थान पर लाया जा सके।
ऐसे राष्ट्र पुरुष व महामनीषी को हम सब का शत् शत् नमन् !
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक

Thursday, April 15, 2010

विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक
चन्दन तरुषु भुजन्गा
जलेषु कमलानि तत्र च ग्राहाः
गुणघातिनश्च भोगे
खला न च सुखान्य विघ्नानि
Meaning:
We always find snakes and vipers on the trunks of sandal wood trees, we also find crocodiles in the same pond which contains beautiful lotuses. So it is not easy for the good people to lead a happy life without any interference of barriers called sorrows and dangers. So enjoy life as you get it.
Courtesy: रामकृष्ण प्रभा (धूप-छाँव)
विश्व गुरु भारत की पुकार:-
विश्व गुरु भारत विश्व कल्याण हेतु नेतृत्व करने में सक्षम हो ?
इसके लिए विश्व गुरु की सर्वांगीण शक्तियां जागृत हों ! इस निमित्त आवश्यक है अंतरताने के नकारात्मक उपयोग से बड़ते अंधकार का शमन हो, जिस से समाज की सात्विक शक्तियां उभारें तथा विश्व गुरु प्रकट हो! जब मीडिया के सभी क्षेत्रों में अनैतिकता, अपराध, अज्ञानता व भ्रम का अन्धकार फ़ैलाने व उसकी समर्थक / बिकाऊ प्रवृति ने उसे व उससे प्रभावित समूह को अपने ध्येय से भटका दिया है! दूसरी ओर सात्विक शक्तियां लुप्त /सुप्त /बिखरी हुई हैं, जिन्हें प्रकट व एकत्रित कर एक महाशक्ति का उदय हो जाये तो असुरों का मर्दन हो सकता है! यदि जगत जननी, राष्ट्र जननी व माता के सपूत खड़े हो जाएँ, तो यह असंभव भी नहीं है,कठिन भले हो! इसी विश्वास पर, नवरात्रों की प्रेरणा से आइये हम सभी इसे अपना ध्येय बनायें और जुट जाएँ ! तो सत्य की विजय अवश्यम्भावी है! श्रेष्ठ जनों / ब्लाग को उत्तम मंच सुलभ करने का एक प्रयास है जो आपके सहयोग से ही सार्थक /सफल होगा !
अंतरताने का सदुपयोग करते युगदर्पण समूह की ब्लाग श्रृंखला के 25 विविध ब्लाग विशेष सूत्र एवम ध्येय लेकर blogspot.com पर बनाये गए हैं! साथ ही जो श्रेष्ठ ब्लाग चल रहे हैं उन्हें सर्वश्रेष्ठ मंच देने हेतु एक उत्तम संकलक /aggregator है deshkimitti.feedcluster.com ! इनके ध्येयसूत्र / सार व मूलमंत्र से आपको अवगत कराया जा सके; इस निमित्त आपको इनका परिचय देने के क्रम का शुभारंभ (भाग--1) युवादर्पण से किया था,अब (भाग 2,व 3) जीवन मेला व् सत्य दर्पण से परिचय करते हैं: -
2)जीवनमेला:--कहीं रेला कहीं ठेला, संघर्ष और झमेला कभी रेल सा दौड़ता है यह जीवन.कहीं ठेलना पड़ता. रंग कुछ भी हो हंसते या रोते हुए जैसे भी जियो,फिर भी यह जीवन है.सप्तरंगी जीवन के विविध रंग,उतार चढाव, नीतिओं विसंगतियों के साथ दार्शनिकता व यथार्थ जीवन संघर्ष के आनंद का मेला है- जीवन मेला दर्पण.तिलक..(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,09911145678,09540007993.
3)सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?
-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए! जो उनके राज में न हो सका पूरा,मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले! विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है.देश को लूटा जा रहा है.! भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो साधू/अब नारी वेश में फिर आया रावण.दिन के प्रकाश में सबके सामने सफेद झूठ;और अंधकार में लुप्त सच्च की खोज में साक्षात्कार व सामूहिक महाचर्चा से प्रयास - तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/ निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/ चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611,9911145678,09540007993.

Friday, April 9, 2010

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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया ! इंडिया से भारत बनकर ही विश्व गुरु बन सकता है- तिलक