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समाज के उच्च आदर्श, मान्यताएं, नैतिक मूल्य और परम्पराएँ कहीं लुप्त होती जा रही हैं। विश्व गुरु रहा वो भारत इंडिया के पीछे कहीं खो गया है। ढून्ढ कर लाने वाले को पुरुस्कार कुबेर का राज्य। (निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/ अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें, संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Monday, October 17, 2016

आदित्यनाथ: योगी हूँ और योगी ही रहूँगा।

आदित्यनाथ: योगी हूँ और योगी ही रहूँगा। 
पूर्वांचल में भाजपा के सबसे प्रमुख चेहरा योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कहा कि वो उप्र में मुमं की दौड़ में नहीं हैं। वो योगी हैं और योगी ही रहेंगे।  
पार्टी का एक बड़ा गुट विशेषकर हिंदूवादी चाहते है कि योगी के चेहरे को आगे कर चुनाव हों। कानपुर में हुई संघ की बैठक के बाद कई संगठनों ने मोहन भागवत से भेंट कर योगी आदित्यनाथ को मुमं प्रत्याशी घोषित करने की मांग भी की थी। किन्तु आज योगी ने इस पर ये कहकर विराम लगा दिया कि किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है। मैं किसी दौड़ में नहीं हूं। 
संसदीय बोर्ड निर्धारित करे
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भाजपा का उप्र चुनावों में चेहरा कौन होगा। ये संसदीय बोर्ड निर्धारित करेगा। मैं कोई चेहरा नहीं हूं। पार्टी का कार्यकर्ता हूं। सांसद हूं और एक सांसद के रूप में पार्टी जहां चाहेगी। मैं वहां प्रचार करूंगा। किसी के नाम की मांग करना संगठन और व्यक्ति का अपना अधिकार है। 
बस एक है चेहरा....
भाजपा में एक चेहरा मोदी जी का है। जो सर्वमान्य है उन्होंने देश विश्व में ये प्रमाणित किया है। भाजपा संसदीय बोर्ड ये निर्धारित करने में सक्षम है कि किसका चेहरा आगे करें या नहीं। 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे,
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प,
प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक
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Tuesday, October 11, 2016

रास्वसं का स्‍थापना दिवस 91 वर्ष पूर्ण

रास्वसं का स्‍थापना दिवस 91 वर्ष पूर्ण 
संघ के स्‍थापना दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- गिलगित, बाल्टिस्‍तान समेत पूरा कश्‍मीर भारत का; और सेना व मोदी को सराहा 
दैनिक जागरण की मोहन भागवत के लिए मीडिया चित्रनागपुर से रास्वसं प्रमुख मोहन भागवत ने पाकिस्तान के अधिग्रहित कश्मीर में आतंकी केंद्रों को नष्ट करने वाले लक्षित प्रहारों के लिए मंगलवार को भारतीय सेना की प्रशंसा की और कहा कि इससे विश्व में देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है तथा अशांति फैलाने वालों को संदेश गया है कि सहन करने की एक सीमा होती है। रास्वसं प्रमुख का वार्षिक दशहरा संबोधन कश्मीर में जारी अशांति, सीमा पर तनाव और गौ-संरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहा। भागवत ने इसके साथ ही सामाजिक भेदभाव के उन्मूलन का भी संकल्प लिया। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (रास्वसं) के स्थापना दिवस के अवसर पर मंगलवार को नागपुर में मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। विजयदशमी रैली में भागवत ने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। इस वर्ष दशहरा कुछ विशेष है। जीवन में जो सीखा उस पर गर्व करें। आज रास्वसं का स्‍थापना दिवस पर संघ के 91 वर्ष पूरे हो गए।
भागवत ने स्‍वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में अभी का शासन काम करने वाला है, उदासीन नहीं। देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। कश्‍मीर पर संसद का संकल्‍प सबसे श्रेष्ठ है। अपने संबोधन में भागवत ने कश्मीर मुद्दे से लेकर देश के भीतर गोरक्षा पर चल रहे विवाद को भी शामिल किया। इसके साथ ही उन्होंने मोदी सरकार और भारतीय सेना की भी सराहना की। 
रास्वसं प्रमुख ने जम्मू कश्मीर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं की यह प्रतिबद्धता अच्छी है कि पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर सहित समूचा राज्य भारत का है। मुजफ्फराबाद, गिलगित, बाल्टिस्‍तान समेत पूरा कश्‍मीर भारत का है। पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर हमारा है। कार्रवाई में भी इन शब्दों जैसी शक्ति होनी चाहिए। हम अपनी सेना की ओर से दिखाए गए शौर्य से प्रसन्न हैं। कश्‍मीर में हंगामा करने वालों का प्रभाव बहुत कम है। उपद्रवियों से कठोरता से निपटना होगा। हुड़दंगियों को सीमा पार से सहायता मिलती है। सीमा पार से उपद्रवियों को उकसाया जाता है। सेना ने पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश दिया है। भागवत ने लक्षित प्रहार पर प्र मं मोदी की प्रशंसा की और कहा कि यशस्‍वी नेतृत्‍व ने एक सराहनीय कार्य किया और पाकिस्‍तान को विश्व में अलग-थलग किया है। सेना ने भी साहस का काम किया है। किन्तु हमारी सीमाओं की सुरक्षा भली भाँति होनी चाहिए। 
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Saturday, October 8, 2016

लेख-- अजय देवगन और पाकिस्तानी कलाकार टकराये

लेख-- अजय देवगन और पाकिस्तानी कलाकार टकराये 
वरिष्ठ लेखक पत्रकार, तिलक राज रेलन आज़ाद की कलम से 
पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम नहीं करूंगा: अजय देवगनपाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने पर प्रतिबंध के पक्ष में फिल्मी मुंबई से जुड़ा एक और अग्रणी व्यक्तित्व है। वर्तमान स्थिति में अभिनेता अजय देवगन ने पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने से मना कर दिया है। इस माह के अंत में 47 वर्षीय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’ और करण जौहर की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ साथ-साथ प्रदर्शित होंगी। करण की फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान की विशेष भूमिका है। देवगन को पाकिस्तान में अपनी फिल्म प्रदर्शन के बारे में   चिंता नहीं है। वे मानते हैं ‘‘यह समय देश के साथ खड़े होने का है।’’ अजय इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट कहते हैं क्योंकि आप सबसे पहले भारतीय हैं। उनके कलाकार अपने देश के साथ खड़े हैं। वह यहां कमाते हैं किन्तु अपने देश का साथ देते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए।’’ अजय के साक्षात्कार के कुछ ही मिनट बाद उनकी पत्नी, अभिनेत्री काजोल ने ट्वीट कर अपने पति की प्रशंसा की। उन्होंने लिखा ‘‘गैर राजनीतिक और सही निर्णय लेने के लिए अपने पति पर मुझे अति गर्व है।’’ उरी प्रहार के दृष्टिगत भारत में कुछ वर्ग पाकिस्तान के कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। 
करण जौहर की आने वाली फिल्म ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ में कार्यरत भारत में लोकप्रिय पाकिस्तानी कलाकारों में से एक फवाद हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने फवाद और अन्य पाकिस्तानी कलाकारों माहिरा खान, अली जाफर और आतिफ असलम आदि पर लक्ष्य साधते हुए उन्हें 48 घंटे के अंदर देश छोड़ देने का समय देते हुए कहा था कि न जाने पर उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा। पार्टी ने ‘‘ऐ दिल है मुश्किल’’ और माहिरा अभिनीत ‘‘रईस’’ का प्रदर्शन रोकने की धमकी भी दी थी। इसके बाद ‘‘इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन’’ (आईएमपीपीए) ने भारत पाक संबंधों के सामान्य होने तक सीमा पार के कलाकारों पर भारतीय फिल्मों में काम करने पर रोक लगाने संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया। फवाद की टिप्पणी से एक दिन पूर्व ही शफकत अमानत अली ने उरी कांड की निंदा की थी। इस मुद्दे पर बॉलीवुड में भिन्न भिन्न राय है। सलमान खान, करण जौहर, हंसल मेहता और अनुराग कश्यप ने जहां पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने जाने के विचार की आलोचना की है वहीं रणदीप हूडा, सोनाली बेन्द्रे और नाना पाटेकर ने इस विचार का समर्थन किया है। 
ध्यान दें - 1) जब भी देश में हिन्दू मुस्लिम  मामला बनता है तब कहा जाता है हम सब भारतवासी हैं। किन्तु अब कहो वो पाकिस्तानी हैं तब भारत के मुस्लिम अपने भारतीय होने के नाते उस बहिष्कार में भारत का साथ देने से कतराते क्यों हैं। 
यहाँ 1965 का एक अनुकरणीय उदाहरण हैं पाकिस्तानी पैटन टैंक के सामने लेटने वाले सितम्बर १०, १९६५ के शहीद हवलदार (कै) अब्दुल हमीद का। मैं कई बार यह उदाहरण देता हूँ। अजेय माने जा रहे पैटन टैंक ने पाकिस्तान के अभिमान को दर्शाता याह्या खान का वाक्य, हमारी बहादुर फोजें रावलपिंडी से नाश्ता कर के चलेंगी (बिना रूकावट) दिल्ली में जा कर लंच दिल्ली में लेंगे। सितम्बर १०, १९६५ के दिन मदमस्त हाथी से बढ़ते पैटन टैंक के झुण्ड को देख कर वह वीर अब्दुल हमीद छाती से बम्ब (ग्रेनेड) बांधकर पैटन टैंक जिसकी अभेद्य मोटी पर्त को नहीं तो चेन तोड़ना ही सही, सोच उसके नीचे घुस गया। उस वीर ने यह नहीं सोचा मैं भी मुस्लमान वो भी मुस्लमान अपितु मैं भारत का सिपाही हूँ टैंक मेरे शत्रु देश का है। परमवीर चक्र से विभूषित कर उस शहीद को सम्मान से कैप्टन का मान दिया गया। 
कै अब्दुल हमीद शहीद हो गए  किन्तु टैंक आगे नहीं बढ़ सका। इसे देख अन्य अनुकरण कर कई वीर शहीद होकर टैंक के झुण्ड को वहीँ रोकने में सफल रहे। याह्या खान की तथाकथित बहादुर फोजें दिल्ली पहुँचने में असमर्थ रहीं। 
सं 1947 तथा विशेषकर 1965 के पश्चात् भारत के मुसलमानों तथा लेखक पत्रकारों का आदर्श स्वतंत्रता पूर्व के मौ अबुल कलाम आज़ाद, क्यों नहीं ? किन्तु देश में व्यवस्था ने वोट बैंक का संरक्षण किया, देश भक्तों का सम्मान नहीं। देश की चिंता  1947 से नहीं, वर्ग या जाति विशेष की बात की जाती रही। आज ज़ाकिर नाईक हमारे नायक क्यों बनते जारहे हैं, वीर अब्दुल हमीद क्यों नहीं ? हमारी सोच भारतीय के नाते नहीं रही। इस पर चिंतन मनन की आवश्यकता है। 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
 इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Friday, July 15, 2016

समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता 
समान नागरिक संहिता भले ही आज समय की मांग है, एक सूत्र में पिरोने की। 
किन्तु इसमें समस्या यह है कि विगत में स्वतंत्रता के आरम्भ से ही समाज को 
एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करने के स्थान पर बहुलता वादी समाज के नाम पर 
संविधान को खिलोने की भाँति प्रस्तुत कर खिलवाड़ करने का चलन चला गया। 
इसी कारण भारत जैसे बहुलता वादी देश में समान नागरिक संहिता लागू करना 
सरल भी नहीं है। 
कई नस्लीय जनजातियां, विभिन्न संप्रदाय, जातियां और समुदाय हैं। हिंदुओं के 
अंदर भी कई भांति भांति की स्थानीय प्रकार की पारिस्थितिक प्रथाएं चालू हैं। इन 
सब के बाद भी संविधान निर्माताओं ने हिंदुओं पर समान कानून बनाए। विभिन्न 
प्रथाओं के बाद भी मूल रूप से पूरा समाज ऐसे जुड़ा है जैसे शरीर के भिन्न भिन्न 
अंग प्रत्यंग एक ही शरीर के विभिन्न भाग हैं। 
समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव पर जन सुनवाई और सर्वदलीय बैठक में 
राजनैतिक दलों का समर्थन ही आगे जाकर आम सहमति दिला सकेगा। इस मुद्दे पर 
आगे का एकमात्र मार्ग सर्वसम्मति से ही स्थापित होना है। समझदारी है कि पहले 
विधि आयोग इस पर भी ध्यान कर जन सुनवाई में सभी समूहों से चर्चा करे ताकि 
विधि आयोग को साझा प्रस्ताव के साथ सामने आने को मिले। 
यह पग इस दृष्टी से महत्त्व का है कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा था कि वह 
मौखिक तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता पर किसी निर्णय से पूर्व व्यापक चर्चा 
पसंद करेगा। कई लोगों का मानना है कि मुसलमान अपनी पत्नियों को मनमाने 
ढंग से तलाक देने के लिए तिहरे तलाक का दुरूपयोग करते हैं। तब इन चीजों 
में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी जानी चाहिए। 
बात केवल तिहरे तलाक की संवैधानिक वैधता की ही नहीं है जैसे अपितु विविधता 
भरे हिन्दू समाज होने पर भी कानून को हिंदुओं पर समान रूप से लागु किया गया, 
इस पर भी वह विविधता समाप्त नहीं हो गई, अनेकता में एकता का गौरवपूर्ण पक्ष 
हमारे लिए सदा के लिए प्रत्यक्ष उदहारण बनकर खड़ा है। 
समान नागरिक संहिता का यही नियम मुस्लिम तथा अन्यों को भी उसी प्रकार एक 
सूत्र में पूरे समाज को जोड़ कर रख सकता था। किन्तु विविधता बनाए रखने के नाम 
पर जिस प्रकार हिन्दू कानून मुस्लिम कानून बनाए गए.उसने एकता के बदले अलगाव 
का भाव ही बनाया और राजनैतिक तुष्टिकरण का मार्ग खोलकर सामाजिक विखंडन 
का मार्ग प्रशस्त किया। आज यह समस्या जटिल रोग होकर असाध्य लगता है। 
समय पर उपचार किया जाता तो उचित था किन्तु विलम्ब से सही, शुभस्य् शीघ्रम। 
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Monday, July 11, 2016

भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी !

भाप्रौसं मुंबई की दीक्षांत समारोह पोशाक होगी खादी ! 
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नदि तिलक। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई ने अपने दीक्षांत समारोह की पोशाक के लिए खादी का चयन किया है। गुजरात विश्वविद्यालय के बाद अब खादी ने प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भाप्रौसं), मुंबई के अधिकारियों के दिल में स्थान बनाया है। खादी अपनाने के बारे में आग्रह और लोकप्रियता से आकर्षित होकर संस्थान ने दीक्षांत समारोह के समय छात्रों द्वारा पहने जाने के लिए 3,500 खादी के अंगवस्त्रम बनाने को कहा गया है। यह एक महत्वपूर्ण पग है और यह दर्शाता है कि खादी का स्थान जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ रहा है। भाप्रौसं मुंबई के निदेशक प्रोफेसर देवांग खाखर ने कहा कि खादी हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है और छात्रों में राष्ट्रीयता की भावना भरने के लिए हमने खादी को अपनाया है। 
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक
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Friday, July 8, 2016

संघ के प्रांत प्रचारकों की वार्षिक बैठक 11 जुलाई से कानपुर में

संघ के प्रांत प्रचारकों की वार्षिक बैठक 11 जुलाई से कानपुर में 

संघ के प्रांत प्रचारकों की बैठक 11 जुलाई से कानपुर मेंयुदस। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारकों की वार्षिक बैठक 11 से 15 जुलाई तक कानपुर में होगी जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के सभी प्रमुख पदाधिकारी भाग लेंगे। संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख मोहन अग्रवाल ने बताया कि 11 जुलाई से बिठूर में प्रांत प्रचारकों की बैठक होगी। प्रांत प्रचारकों की यह बैठक प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में देश के किसी भी शहर में आयोजित होती है। इस बार यह कानपुर में आयोजित हो रही है। इसमें शारीरिक, बौद्धिक सामाजिक सरोकार और सामूहिक चर्चा के कार्यक्रम होंगे। 
इसमें देश भर से आने वाले प्रांत प्रचारक शामिल होंगे। दूसरे चरण की बैठक में संघ के प्रांत प्रचारकों के अतिरिक्त संघ से जुड़े अन्य संगठनों जैसे विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ और आरोग्य भारती जैसे 40 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी भाग लेंगे। तीसरे चरण की बैठक में केवल संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी शामिल होंगे, जो दोनो चरणों की बैठकों की समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रांत प्रचारकों की इस बैठक में कोई प्रस्ताव या नीतिगत निर्णय नही होते हैं। इस बैठक में प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक, अखिल भारतीय पदाधिकारी तथा विविध कार्यों के प्रमुख कार्यकर्ता समेत प्राय: 150 लोग शामिल होंगे। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सह कार्यवाह भैयाजी जोशी, सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी के सहित संघ के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। अग्रवाल ने कहा चूंकि यह संघ के प्रचारकों की बैठक होती है, इसलिये इसमें मीडिया को प्रवेश नहीं होता है। उनसे पूछा गया कि ऐसी अटकलें हैं कि संघ की इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी आ रहे हैं तो उन्होंने इस प्रकार की किसी भी जानकारी को नकार दिया। 
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Thursday, July 7, 2016

समान नागरिक संहिता का चुनाव से संबंध नहींः प्रसाद

समान नागरिक संहिता का चुनाव से संबंध नहींः प्रसाद 
समान नागरिक संहिता का चुनाव से संबंध नहींः प्रसादनदि तिलक। विधि मंत्रालय का आज कार्यभार संभालते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के विषय को विधि आयोग को भेजने का उत्तर प्रदेश में आगामी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। विधि मंत्री ने कहा, ‘‘इसे चुनाव से नहीं जोड़ें। उत्तराखंड में भी चुनाव होने हैं.. यह तथ्य है कि संविधान का अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता की बात करता है। उच्चतम न्यायालय ने समय समय पर समान नागरिक संहिता के बारे में व्यवस्था दी है.. यह हमारे (भाजपा) चुनाव घोषणापत्र में भी है।’’ 
समान नागरिक संहिता के बारे में संवाददाताओं के कई प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने कहा, ''इस बारे में व्यापक विचार विमर्श किये जाने की आवश्यकता है। विधि आयोग से विचार विमर्श करने को कहा गया है। वह जो भी रपट प्रस्तुत करेगा, वह उसके विवेकाधिकार का मामला है।’’ 
विधि मामलों के विभाग ने गत माह आयोग से समान नागरिक संहिता पर एक रपट प्रस्तुत करने को कहा था जो भाजपा और संघ परिवार के लिए सदा महत्त्व का विषय रहा है। इस पहल को ऐसे समय में महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि वह ‘तीन बार तलाक’ की संवैधानिक वैधानिकता पर कोई निर्णय करने से पूर्व व्यापक सार्वजनिक चर्चा चाहती है। इस बारे में कई लोगों की शिकायत है कि इसका दुरूपयोग करते हुए मनमाने ढंग से पत्नियों को तलाक दिया जाता है। इस पहल का भाजपा ने स्वागत किया है जबकि मुस्लिम मजलिस और कुछ कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया है। 
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Monday, July 4, 2016

बलि चढ़ाना, बलिदान नहीं :इरफान

बलि चढ़ाना, बलिदान नहीं :इरफान Image result for अभिनेता इरफान खानजयपुर: इरफान खान भले ही फिल्म अभिनेता हैं धर्म गुरु नहीं। किन्तु धार्मिक ठेकेदारों द्वारा कुर्बानी के नाम से बलि चढ़ाने की कुप्रथा को रोकने का प्रयास कैसे अनुचित है जिस पर कहा गया की उन्हें धार्मिक ज्ञान नहीं है और उन्हें कुर्बानी या रमजान पर सवाल उठाने से पहले किसी धर्मगुरू से संपर्क कर इसके बारे में सीखना चाहिए था।’ बलि से जुड़े अपने वक्तव्य पर मिल रही आलोचना का उत्तर देते हुए कहा है कि वह धर्मगुरुओं से नहीं डरते क्योंकि वह धार्मिक ठेकेदारों द्वारा चलाए जा रहे देश में नहीं रहते हैं। दो दिन पूर्व इरफान ने जयपुर में बकरीद पर होने वाली कुर्बानी प्रथा पर प्रश्न उठाये थे। उनकी प्रश्न उठाती हुई इस टिप्पणी पर कुछ धर्मगुरुओं ने कटु शब्दों में उन्हें अपने काम पर ध्यान देने को कहा है। किन्तु इरफान ने शनिवार को इसके उत्तर में फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा कि वह धर्मगुरुओं द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रह रहे हैं। इरफान ने लिखा ‘कृपया भाइयों, जो भी मेरे बयान से दुखी हैं, या तो आप आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं, या फिर आपको निष्कर्ष तक पहुंचने की बहुत जल्दी है। मेरे लिए धर्म व्यक्तिगत आत्मविश्लेषण है, यह करुणा, ज्ञान और संयम का स्रोत है, यह रूढ़ीवादिता और कट्टरता नहीं है। धर्मगुरुओं से मुझे डर नहीं लगता। शुक्र है भगवान का कि मैं धर्म के ठेकेदारों द्वारा चलाए जाने वाले देश में नहीं रहता।’ बता दें कि अपनी आगामी फिल्म 'मदारी' के प्रचार हेतु यपुर पहुंचे इरफान  नेपत्रकारों से बातचीत में कहा 'जितने भी रीति-रिवाज, त्यौहार हैं, हम उनका सही अर्थ भूल गए हैं, हमने उनका तमाशा बना दिया है। कुर्बानी एक प्रमुख त्यौहार है। कुर्बानी का अर्थ बलिदान करना है। किसी दूसरे की बलि चढ़ा करके मैं और आप भला क्या बलिदान कर रहे हैं?' इरफान ने कहा था कि 'जिस समय यह प्रथा चालू हुई होगी, उस समय भेड़-बकरे भोजन के मुख्य स्रोत थे। सभी लोग थे जिन्हें खाने को नहीं मिलता था। उस समय भेड़-बकरे की बलि एक प्रकार से अपनी कोई प्रिय वस्तु की बलि करना और दूसरे लोगों में बांटना था। आज के समय में बाजार से दो बकरे खरीद कर लाए तो उसमें आपकी कुर्बानी क्या है। हर आदमी दिल से पूछे, किसी और की जान लेने से उसे कैसे सवाब मिल जाएगा, कैसे पुण्य मिलेगा।' 
'इस्लाम को बदनाम करने वालों के नाम फतवा' 
अपनी बात पूरी करते हुए इरफान ने कहा कि 'जो फतवा देने वाले लोग हैं, उन लोगों को इस्लाम के नाम को बदनाम करने वालों के खिलाफ फतवा देना चाहिए। उनके खिलाफ देना चाहिए जो आतंकवाद की दुकान चला रहे हैं, जिन्होंने आतंकवाद के धंधे खोल रखे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मैं किसी ऐसे देश में नहीं रहता जहां धार्मिक कानून चलता है। मुझे इस पर गर्व है।' 
इरफान के इस वक्तव्य पर कुछ इस्लामिक जानकारों ने आपत्ति जताई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयपुर के शहर काजी खालिद उस्मानी ने कहा था ‘इरफान अभिनेता हैं और उन्हें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें धार्मिक ज्ञान नहीं है और उन्हें कुर्बानी या रमजान पर सवाल उठाने से पहले किसी धर्मगुरू से संपर्क कर इसके बारे में सीखना चाहिए था।’ उन्होंने कहा कि इस्लाम अस्पष्ट नहीं है और इरफान को अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए। जयपुर के इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल लतीफ ने कहा है कि इरफान कलाकार हैं कोई  धार्मिक मामलों के गुरु नहीं। उन्होंने जो कुछ कहा, उसका कोई महत्व नहीं है और उन्हें अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसा नहीं कहना चाहिए था। 
यहाँ मैं यह स्पष्ट कर दूँ मेरे 5 दशक के काव्य लेखन व पत्रकारिता के काल में मनोज कुमार के अतिरिक्त कभी किसी कलाकार के व्यक्तिगत चिंतन को विषय नहीं बनाया। फिल्म समीक्षा में कथानक फिल्मांकन तथा सामाजिक पक्ष पर ही लिखा है। ले http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2016/07/blog-post.html 
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Thursday, June 2, 2016

जल संकट से निबटने में जन भागीदारी का हो साथ

जल संकट से निबटने में जन भागीदारी का हो साथ 

जल संकट से निबटने को जन भागीदारी बेहद जरूरीप्रधानमंत्री ने जल संकट के समाधान को लेकर कई प्रदेशों द्वारा अपने स्तर पर किये गये प्रयासों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इसके बाद भी तथ्य यह है कि वर्तमान में देश के एक दर्जन से राज्यों में सूखे की स्थिति हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात' के 20वें संस्करण में देश में व्याप्त जल संकट से निबटने के लिये जन भागीदारी की अपील की है। ऐसे में मूल प्रश्न यह है कि प्रधानमंत्री की मन की बात देश की जनता के मन को कितना प्रभावित करेगी। क्या प्रधानमंत्री की चिंता और अपील से प्रभावित होकर देशवासी जल दुरूपयोग से लेकर संचयन तक के उपायों को अपनाएंगे। प्रश्न यह भी है कि करोड़ों−अरबों की योजनाओं और भारी भरकम मंत्रालयों एवं सरकारी मशीनरी के बाद भी देश में जल संकट ऐसा गंभीर रूप क्यों धारण कर रहा है। और समाज का बड़ा भाग पर्याप्त पानी से वंचित है। हम सबको सोचना होगा कि, क्या पानी हमारी आवश्यकता भर है, क्या हर जीव की इस आवश्यकता को पूरा करने के प्रति हमारा कोई दायित्व नहीं? कैसे मिलेगा पानी, जब हम उसे नहीं बचाएंगे? इन सभी प्रश्नों के उत्तर में हमें शर्मिंदा होना चाहिए, क्योंकि भारत का भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। ये आने वाले भयावह समय का संकेत है, जब हम पानी की एक बूंद के लिए तरस जाएंगे। 
बचपन से लेकर अभी तक हमें जल के महत्व के बारे में पढ़ाया जाता रहा है, किन्तु इस पर हम कभी व्यवहार नहीं करते हैं। दैनिक जीवन में जाने−अनजाने में हम जल का अपव्यय खूब करते हैं। सवेरे उठते ही सबसे पहले हम शौच के लिए जाते हैं, उसके बाद हम ब्रश या दातून से अपने दांतों की सफाई करते हैं। फिर हम घर की सफाई करते हैं, कपड़े धोते हैं, नहाते हैं, चाय पीते हैं, भोजन पकाते हैं, खेतों की सिंचाई करते हैं और सबसे मुख्य बात है कि पानी पीते हैं। देखा जाए तो हमारे दैनिक जीवन में पानी सबसे बड़ी आवश्यकता है, इसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। भोजन या अन्य चीजों का विकल्प हो सकता है, किन्तु पानी का विकल्प अभी कुछ भी नहीं है। जन्म से लेकर मृत्यु तक यह एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जिसे हम कभी भी नहीं खोना चाहते हैं। पृथ्वी पर जल की उपलब्धता इस समय प्राय: 73 % है, जिसमें मानवों के उपयोग करने योग्य जल मात्र 2.5 % है। 2.5 % पानी पर ही पूरा विश्व निर्भर है। देश के जितने भी बड़े बांध हैं, उनकी क्षमता 27 % से भी कम रह गई है। 91 जलाशयों का पानी का स्तर गत एक वर्ष में 30 % से भी नीचे पहुंच चुका है। 
स्वतंत्रता बाद से देश में लगभग सभी प्राकृतिक संसाधनों की निर्ममता से लूट हुई है। जल का तो कोई मुल्य हमारी दृष्टी में कभी रहा ही नहीं। हम यही सोचते आये हैं कि प्रकृति का यह अमुल्य कोष कभी कम नहीं होगा। हमारी इसी सोच ने पानी की बर्बादी को बढ़ाया है। नदियों में बढ़ते प्रदूषण और भूजल के अंधाधुंध दोहन ने गंगा गोदावरी के देश में जल संकट खड़ा कर दिया है। यह किसी त्रासदी से कम है क्या कि महाराष्ट्र के लातूर में पानी के लिए खूनी संघर्ष को रोकने के लिए धारा 144 लागू है। कई राज्य भयानक सूखे की स्थिति में हैं। कुंए, तालाब लगभग सूख गए हैं। बावड़ियों का अस्तित्व समाप्त प्राय है। भूजल का स्तर निम्नतम जा चुका है। जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ने के साथ कल−कारखाने, उद्योगों और पशुपालन को बढ़ावा दिया गया, उस अनुपात में जल संरक्षण की ओर ध्यान नहीं गया जिस कारण आज गिरता भूगर्भीय जल स्तर घोर चिंता का कारण बना हुआ है। अब लगने लगा है कि आगामी विश्व यु़द्ध पानी के लिए ही होगा। 
जल संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय झारखण्ड के सिमोन उरांव वर्तमान जल संकट को लेकर कहते हैं कि 'लोग धरती से पानी निकालना जानते हैं। उसे देना नहीं।' देखा जाए तो पहले सभी स्थानों पर तालाब, कुएं और बांध थे, जिसमें बरसात का पानी जमा होता था। अब धड़ल्ले से बोरिंग की जा रही है। जिससे वर्षा का पानी जमा नहीं हो पाता है। शहरों में तो जितनी भूमि बची थी लगभग सभी में अपार्टमेंट और घर बन रहे हैं। उनमें धरती का कलेजा चीरकर 800−1000 फुट नीचे से पानी निकाला जा रहा है। वहां से पानी निकल रहा है, पर जा नहीं रहा तो ऐसे में जलसंकट नहीं होगा तो क्या होगा? विश्व में जल का संकट कोने−कोने व्याप्त है। आज हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। विश्व औद्योगीकरण की राह पर चल रहा है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन हो रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए मूल्यांकन में 445 नदियों में से 275 नदियां प्रदूषित पाई गईं। विश्व भर में स्वच्छ जल की अनुपलब्धता के चलते ही, जल जनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं। 
आंकड़ों के अनुसार अभी विश्व में प्राय: पौने 2 अरब लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। यह सोचना ही होगा कि केवल पानी को हम किसी कल कारखाने में नहीं बना सकते हैं इसलिए प्रकृति प्रदत्त जल का संरक्षण करना है और एक−एक बूंद जल के महत्व को समझना होना होगा। हमें वर्षा जल के संरक्षण के लिए चेतना ही होगा। अंधाधुंध औद्योगीकरण और तेजी से फैलते कंक्रीट के जंगलों ने धरती की प्यास को बुझने से रोका है। धरती प्यासी है और जल प्रबंधन के लिए कोई ठोस प्रभावी नीति नहीं होने से, स्थिति अनियंत्रित होती जा रही है। कहने को तो धरातल पर तीन चौथाई पानी है किन्तु पीने योग्य कितना यह सर्वविदित है! रेगिस्तानी क्षत्रों का भयावह चित्र चिंतनीय और दुखद है। पानी के लिए आज भी लोगों को मीलों पैदल जाना पड़ता है। आधुनिकता से रंगे इस काल में भी प्यास बुझाने हेतु जल जनित रोग हो जाएं और प्राण संकट पर भी गंदा पानी पीना बाध्यता है। 
प्रधानमंत्री ने जल संकट से उबरने के लिये जन भागीदारी की अपील की है। ये सच है कि बड़े से बड़ी सरकार या व्यवस्था बिना जन भागीदारी के अपने मंतव्यों और उद्देश्यों में सफल नहीं हो सकती है। जहां देश के अनेक शहरों, कस्बों और गांवों में पानी का भारी संकट है, और स्थानीय नागरिक सरकार और सरकारी तंत्र आश्रित हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं वहीं कुछ ऐसे उदहारण भी हैं जहां स्थानीय लोगों ने अपने बल पर जल संकट से मुक्ति पाई है। बेंगलुरु की सरजापुर रोड पर स्थित आवासीय कॉलोनी 'रेनबो ड्राइव' के 250 घरों में पानी की आपूर्ति तक नहीं थी। आज यह कॉलोनी पानी के मामले में आत्मनिर्भर है और यहां से दूसरी कॉलोनियों में भी पानी आपूर्ति देने लगा है। यह संभव हुआ है पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः उपयोगी बनाने से। वर्षा जल संग्रहण के लिए कॉलोनी के हर घर में पुनरुपयोग कुएं बनाए गए हैं। राजस्थान के लोगों ने मरी हुई एक या दो नहीं, बल्कि सात नदियों को फिर से जीवन देकर ये प्रमाणित कर दिया है कि मानव में यदि दृढ़ शक्ति हो तो कुछ भी संभव हो सकता है। जब राजस्थान के लोग, राजस्थान की सात नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं तो शेष नदियां साफ क्यों नहीं हो सकती हैं? पंजाब के होशियारपुर में बहती काली बीन नदी कभी अति प्रदूषित थी। किन्तु सिख धर्मगुरु बलबीर सिंह सीचेवाल की पहल ने उस नदी को स्वच्छ करवा दिया। 
देश में पानी की समस्या अपने चरम पर है। जल अपव्यय धड़ल्ले से हो रहा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि लोग इसके महत्त्व के बारे में जानते हुए भी निश्चिन्त बने हुए हैं और इसका अपव्यय कर रहे हैं। हमें यह समझना होगा और समझाना होगा कि प्रकृति ने हमें कई अमुल्य उपहार सौंपे है उनमें से पानी भी एक है। इसलिए हमें इसे सहेज कर रखना है। पानी की कमी को वही लोग समझ सकते हैं, जो इसकी कमी से दो चार होते हैं। हम खाने के बिना दो−तीन दिन जीवित रह सकते हैं किन्तु जल बिना जीवन की कल्पना ही असम्भव -सा लगता है। आय के साधन जुटाने में मनुष्य पानी का अंधाधुंध उपयोग कर रहा है। हमें भविष्य की चिंता बिल्कुल नहीं है और न ही हम करना चाहते हैं। यदि विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य इसी प्रकार लगा रहा तो हमारी आने वाली पीढ़ी प्रकृति के अमुल्य उपहार जल से वंचित रह सकती है। 
वर्षा के मौसम में जो पानी बरसता है उसे संरक्षित करने की पूर्ववर्ती सरकार की कोई योजना नहीं रही। ऐसे में समस्या तो होगी ही। वर्षा से पूर्व गांवों में छोटे−छोटे लघु बांध बनाकर वर्षा जल को संरक्षित किया जाना चाहिए। शहर में जितने भी तालाब और बांध हैं। उन्हें गहरा किया जाना चाहिए जिससे उनकी जल संग्रह की क्षमता बढ़े। सभी घरों और अपार्टमेंट में जल संचयन को अनिवार्य किया जाना चाहिए तभी जलसंकट का सामना किया जा सकेगा। गांव और टोले में कुआं रहेगा, तो उसमें वर्षा का पानी जायेगा। तब भूजल और वर्षा का पानी मेल खाएगा। आवश्यक नहीं है कि आप भगीरथ बन जाएं, किन्तु दैनिक जीवन में एक−एक बूंद बचाने का प्रयास तो कर ही सकते हैं। खुला हुआ नल बंद करें, अनावश्यक पानी बहाया न करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। इसे अपना अभ्यास बनायें। हमारा छोटा सा अभ्यास आने वाली पीढ़ियों को जल के रूप में जीवन दे सकता है। एक रपट के अनुसार, भारत 2025 तक भीषण जल संकट वाला देश बन जाएगा। हमारे पास मात्र आठ वर्षों का समय है, जब हम अपने प्रयासों से धरती की बंजर होती कोख को पुन: सींच सकते हैं। यदि हम जीना चाहते हैं, तो हमें ये करना ही होगा। 
मई में हमारे प्र मं ने विभिन्न राज्यों के मु मं से बैठकों द्वारा इस समस्या के समाधान के जो अपूर्व प्रभावी उपाय किये हैं, उसे जनसहभागिता का हमारा योगदान, भारत में 2025 तक भीषण जल संकट की उस सम्भावना का यह प्रबल प्रत्युत्तर होगा। हम बदलें, देश बनेगा; भविष्य बनेगा -वन्देमातरम। 
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगड चुकी दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता |
आओ मिलकर कार्य संस्कृति की दिशा व दशा श्रेष्ठ बनायें-तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Thursday, April 14, 2016

श्री रामनवमी के कुछ दुर्लभ शुभ व्रत संयोग

श्री रामनवमी के कुछ दुर्लभ शुभ व्रत संयोग  
Image result for रामनवमी 2016कृ ध्यान दें सोशल मीडिया के सभी राष्ट्रवादी लेखकों के सूचनार्थ, पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ बुधादित्य योग का दुर्लभ विशेष संयोग भी बन रहा है। इस शुभ दिन आइए एक दुर्लभ शुभ व्रत लें।     देवी महागौरी जयघोष से आठवां नवरात्र संपन्न हुआ, इस आठ   दिवसीय पर्व के नवरात्र व्रत की व्यस्तता से निकल कर, आइए    अब नकारात्मक तत्वों से रक्षा के सामाजिक संकल्प का व्रत लें। मित्रो, विगत में समाज पर शर्मनिरपेक्ष राष्ट्रद्रोह का काला साया जो रहा मँडराता, क्योंकि नकारात्मक भांड मीडिया ने उन्हें सर पे था बिठलता। समय आ गया है, अब उस कलंक को मिटाने का, 
राष्ट्रद्रोह से पूर्व उनके पोषक, नकारात्मक मीडिया के मिटाने का। 
इस शुभ अवसर पर विविध विषय के लेखकों का उनकी प्रतिभा के द्वारा, राष्ट्र सेवा सम्मान के से एकाकार होगा। 
राष्ट्रवाद की दैविक ऊर्जा एकजुट होकर चंडीका जब धरे स्वरूप, मिशन मीडिया, फिर परास्त हो मनी मीडिया। सभी संभावित प्रतिभागी, अपने प्रिय विषय सहित (राष्ट्र, समाज, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, पर्यावरण, ज्ञान विज्ञान, आदि) नमूना लेख पोस्ट करें -लेखक पत्रकार राष्ट्रीयमंच (राष्ट्रव्यापी राष्ट्रसमर्पित) संपा युगदर्पण LPRM 
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YDMS के 30 ब्लॉग - राष्ट्र, समाज, धर्म संस्कृति, जीवन शैली, पर्यावरण, ज्ञान विज्ञान, सत्य, शिक्षा, विश्व, युवा, काव्य साहित्य, कला, प्रतिभा, इतिहास, परिहास, नशा मुक्ति, फैशन मुक्ति, भूमि, चौपाल, महिला घर परिवार, विकास तथा विनाशक राजनीती, .... सभी विषयों पर समर्थ, .. यही है, व्यापक सार्थक विकल्प का अर्थ। 
नकारात्मक का प्रतिकार से पूर्व सकारात्मक अपनी स्वीकार्यता बनाएगा, तभी परिणाम पाएगा। 
यदि सहमत हैं, तो सहो मत,.....  उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!! 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, 
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, ले कर करे; 
प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया | इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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कल रामनवमी है। अर्थात प्रभु श्री राम का जन्म। कुछ दुर्लभ संयोग

कल रामनवमी है। अर्थात प्रभु श्री राम का जन्म। कुछ दुर्लभ संयोग 
इस शुभ दिन आइए एक शुभ व्रत लें। देवी महागौरी जयघोष से आठवां नवरात्र संपन्न हुआ, आठ दिवसीय पर्व के नवरात्र व्रत की व्यस्तता से निकल कर, अब नकारात्मक तत्वों से रक्षा के सामाजिक संकल्प का व्रत लें। 

चैत्र नवरात्र के नौवें दिन, देश के कई भागों में रामनवमी पर भगवान श्रीराम जन्मोत्सव का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तो श्रीरामनवमी का एक विशेष महत्व है। भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव तो वैसे ही अति शुभ समय होता है, किन्तु बार इस शुभ दिन कुछ और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। यह विशेष योग जो शुभ तत्व को कई गुना वृद्धि प्रदान करने वाले हैं। 
रामनवमी इसबार 15 अप्रैल को है। इस बार रामनवमी पर उच्च का सूर्य, बुध के साथ मिलकर बुधादित्य योग बना रहा है। ये अति विशेष मुहूर्त है। साथ ही पुष्य नक्षत्र भी है। अर्थात पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ बुधादित्य योग का विशेष संयोग भी बन रहा है। इतना विशेष योग भी कई वर्षों बाद बन रहा है। चैत्र और शारदीय नवरात्र के नौवें दिन नवमी को दोनों ही बार धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, दान-पुण्य का अधिक महत्व होता है। नवरात्र में कई लोग व्रतादि रखते हैं और विशेषकर चैत्र में रामनवमी के दिन श्रद्धालु पूजा-पाठ के उपरांत इसे तोड़ते हैं। 
रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसीलिए इस दिन पूरे समय पवित्र मुहूर्त होता है। इस दिन नए घर, दुकान या प्रतिष्ठान में प्रवेश किया जा सकता है। किसी भी प्रकार का क्रय, गृहप्रवेश और शुभ कार्यों के लिए यह विशेष संयोग लाभकारी माना गया है। 
राम नवमी के दिन उपवास के पश्चात भक्तों को भगवान श्रीराम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और दान देना चाहिए। भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना करने से कृपा बनी रहेगी और घर में धन-समृद्धि की वृद्धि भी होगी। 
नकारात्मक भांड मीडिया जो असामाजिक तत्वों का महिमामंडन करे, 
उसका सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, ले कर करे; 
प्रेरक राष्ट्र नायको का यशगान -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 
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Wednesday, April 13, 2016

मंदिर में महिला प्रवेश का हंगामा तथा सत्य -

विक्षिप्त क्यों? भारत, मोदी तथा हिंदुत्व के विरोधी 
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये।
अपनी धर्म संस्कृति को जीवन शैली का आधार बनायें, भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनायें। - तिलक
मंदिर में महिला प्रवेश का हंगामा तथा सत्य -
मंदिर में महिला प्रवेश के मामले पर जिस प्रकार एक भ्रामक प्रस्तुति की गई, लैंगिक भेदभाव का रूप देकर हंगामा कर धर्म समाज पर आरोप मढ़ते संघर्ष पूर्वक घुसने का नाटक तथा न्यायिक प्रक्रिया का पटाक्षेप हो गया है। मा. न्यायमूर्ति ने कहा लैंगिक भेदभाव का हिन्दू धर्म में कभी कहीं स्थान नहीं रहा।
सभी जानते हैं हमारे समाज में महिलाऐं धार्मिक कार्यों में सदा अग्रणी रही हैं। इतना ही नहीं देवी का स्थान तो हिन्दू समाज ने दिया, फिर मंदिर में महिला प्रवेश के विषय के भ्रम को समझें।
किन्ही विशेष स्थितियों में (मासिक स्त्राव में) मंदिर में महिला प्रवेश पर सामयिक रोक संभव है। वह भी स्व बाध्य पवित्रता हेतु। दूसरे शिवलिंग के रेडियोधर्मिता तरंगो से बचाव के लिए। यदि हिंदुत्व के शत्रु, हंगामा करने हेतु इसे लैंगिक भेदभाव का रूप देकर समाज में अशांति फैलाना चाहते हैं, तो हिन्दुओ उठो, जागो सत्य को जानो, धर्म विरोधी अधर्मियों को उनके कुचक्रों सहित पहचानो।
शिवलिंग, वर्षप्रतिपदा तथा अन्य सभी भारतीय मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार जानिए। रेडियोधर्मिता का किसी शिवलिंग, ज्योतिर्लिंग से सम्बन्ध जानिए। नालंदा तक्षशिला की शिक्षा जानिए।
तब समझमें आएगा, भारत वास्तव में विश्व गुरु था, हिंदू व उसमे विश्व गुरु के, वे तत्व विध्यमान होने से, क्यों बौखलाते हैं भारत के शत्रु ? तथा भारत में नई सत्ता से भारत के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया, क्यों उन्हें विक्षिप्त बना रही है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा तो कि शिवलिंग ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधी, रेडियोधर्मिता का प्राकृतिक केंद्र व प्रतीक माना जाता है। इतना ही नहीं, सक्रिय रेडियोधर्मिता सभी ज्योतिर्लिंग की विशेषता है। अर्थात सम्पूर्ण वैज्ञानिक शक्तिपुंज की आराधना। यह प्रमाण है, युगों पूर्व भारत के वैज्ञानिक चरम का।
किन्तु शर्मनिरपेक्ष दलों व उनके दल्लों, शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया ने उसके प्रति नकारात्मक भाव भरना ही है।
उसी नकारात्मक शर्मनिरपेक्ष भांड मीडिया का सकारात्मक विकल्प, विविध विषयों के 30 ब्लॉग YDMS
www.yugdarpan.simplesite.com
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया;
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है।
रंगीन मीडिया की चमक के पीछे, कालिख जब दिखती न थी;
तब नकारात्मक का सकारात्मक विकल्प लिए युगदर्पण आया;
15 वर्ष में वो अंतर, जब देश भर की, प्रत्यक्ष समझ में है आया:
दूसरे चरण में नकारात्मक हटाओ, सकारात्मक अपनाओ। यु.द. - तिलक 

Friday, April 1, 2016

उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!!

उत्तिष्ठत ! जागृत !! भारत !!! 

चन्दन है इस देश की माटी, तपो भूमि हर ग्राम है, (इसी प्रकार के अन्य गीत, YDMS संस्कार कोष) 
कहाँ गए वो संस्कारी गीत ? स्वयं को पहचानो। जिस शिखर से तुम गिरे हो, उसका मार्ग जानो। क्षमताओं को जागृत कर, मार्ग प्रशस्त करो। जिससे विश्व का मार्ग दर्शन कर सको। विश्व बाट जोह रहा है। तिलक -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS 
https://www.youtube.com/watch?v=yngFqZo5Db4&index=1&list=PL3G9LcooHZf3de3bFQ2LQ50y8x9Z6i7-v 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक 

Wednesday, March 23, 2016

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू को दी श्रद्धांजलि 
तिलक 
23 मार्च 16  न दि 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को सर्वोच्च बलिदान उनके पर श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को उनके शहीदी दिवस के अवसर पर नमन करता हूं और पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाले उनके अदम्य साहस और देशभक्ति के लिए उन्हें नमन करता हूं।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘अपने युवाकाल में इन तीन बहादुर लोगों ने अपने जीवन त्याग दिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां आजादी की हवा में सांस ले सकें।’’ आज ही के दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को निर्धारित समय से कुछ घंटे पूर्व ही फांसी पर चढ़ा दिया गया था। इन तीनों को लाहौर कांड मामले में मृत्यु दंड की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री ने समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया को भी उनकी जयंती के अवसर पर स्मरण किया। उन्होंने लोहिया को ‘‘एक ऐसा विद्वान और मौलिक विचारक’ बताया, जिन्होंने दूसरे दलों के लोगों को भी प्रेरणा दी।'' 
मोदी ने लोहिया के उस पत्र की भी एक प्रति सार्वजनिक की, जो उन्होंने महात्मा गांधी को 30 अप्रैल, 1941 को बरेली सेंट्रल जेल से लिखा था। इस पत्र में लोहिया ने अलमोड़ा के हरि दत्त कंदपाल का परिचय गांधी से करवाया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि कंदपाल अहिंसा में गहरा विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं और जेल से मुक्त होने के बाद उनसे (गांधी से) मिलना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का भी उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर अभिनंदन किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। मोदी ने कहा, ‘‘कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी को, उनके सहस्र चंद्र दर्शन के विशेष अवसर पर, मेरी हार्दिक बधाई।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पूज्य शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी ने अपना जीवन सेवा और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित कर दिया है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीघायु होने की कामना करता हूं।'' 
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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